यूपी में परिषदीय स्कूलों का होगा एकीकरण: शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की नई पहल

उत्तर प्रदेश सरकार अब ग्रामीण और परिषदीय स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है – संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना और विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराना। इस योजना के तहत जिले में स्थित परिषदीय स्कूलों को एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा, ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को लाभ मिल सके।

क्यों लिया गया यह फैसला?

प्रदेश में वर्तमान में 1909 परिषदीय स्कूल और 1358 प्राथमिक पाठशालाएं संचालित हो रही हैं। इनमें से कई स्कूलों में छात्र संख्या बेहद कम है, जिससे संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा। शिक्षा विभाग की एक आंतरिक समीक्षा के बाद यह स्पष्ट हुआ कि छोटे स्कूलों में न केवल टीचर्स की तैनाती का सही लाभ नहीं मिल रहा, बल्कि विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।

इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के उच्च छात्र संख्या वाले स्कूलों से जोड़ा जाएगा। इस प्रक्रिया को “स्कूल एकीकरण योजना” नाम दिया गया है, जिसका संचालन जिला शिक्षा विभाग की निगरानी में होगा।

यूपी में परिषदीय स्कूलों का होगा एकीकरण
यूपी में परिषदीय स्कूलों का होगा एकीकरण

प्रशासनिक दिशा-निर्देश और उद्देश्य

मनुपरी जिले में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान जिला स्तर के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि स्कूलों को मर्ज करने की यह प्रक्रिया विद्यार्थियों के हित में होनी चाहिए। अधिकारियों का कहना है कि यह केवल स्कूल बंद करने की अफवाह नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की एक ठोस रणनीति है।

सीडीओ नेहा बंधु ने बताया कि शासन की ओर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि स्कूलों की संख्या कम करने के बजाय बेहतर सुविधाओं और संसाधनों को समेकित किया जाए। इसका उद्देश्य बच्चों को एक ही परिसर में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई, पर्याप्त शिक्षकों की मौजूदगी और स्मार्ट क्लास जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

क्या होगा इस योजना का असर?

शिक्षकों का बेहतर उपयोग: जब स्कूलों को एकीकृत किया जाएगा, तो शिक्षकों की तैनाती समान रूप से हो सकेगी, जिससे शिक्षण स्तर में सुधार आएगा।

विद्यार्थियों को बेहतर वातावरण: बड़े स्कूलों में संसाधन अधिक होते हैं, जैसे लाइब्रेरी, लैब, कंप्यूटर क्लास आदि। इससे बच्चों को समग्र विकास का अवसर मिलेगा।

प्रशासनिक खर्चों में कटौती: छोटे-छोटे स्कूलों के अलग-अलग संचालन से जो खर्च होता है, वह कम होगा और वही संसाधन मुख्य स्कूलों में लगाकर उन्हें सशक्त बनाया जाएगा।

योजना की निगरानी और रिपोर्टिंग

विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर स्कूल के भौगोलिक स्थिति, दूरी, छात्र संख्या और संसाधनों का विश्लेषण करें और रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत करें। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगातार फॉलोअप लिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही इस योजना को लेकर प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है। सभी बीएसए और खंड शिक्षा अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

निष्कर्ष

इस एकीकरण योजना से परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता निश्चित रूप से बेहतर होगी। बच्चों को बेहतर शिक्षण सामग्री, अनुभवी शिक्षक और आधुनिक सुविधाएं एक ही जगह मिलेंगी। हालांकि यह देखना अहम होगा कि इस योजना को ज़मीनी स्तर पर कितनी कुशलता से लागू किया जाता है।

शिक्षा विभाग की इस पहल से स्पष्ट है कि सरकार अब केवल संख्या बढ़ाने पर नहीं, बल्कि गुणवत्ता आधारित शिक्षा देने पर जोर दे रही है। अगर यह योजना सफल होती है, तो आने वाले समय में यूपी की प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा।

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