UPTET Paper 1 Sectional Test 1 – Environmental Studies Quiz: UPTET (उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा) के Environmental Studies (पर्यावरण अध्ययन) खंड का उद्देश्य उम्मीदवारों की पर्यावरण से जुड़ी मूलभूत अवधारणाओं, शिक्षण दृष्टिकोण और दैनिक जीवन में पर्यावरणीय जागरूकता को समझने की क्षमता का मूल्यांकन करना है। यह खंड प्राथमिक स्तर (Paper 1) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विषय बालकों में पर्यावरणीय संवेदनशीलता और जागरूकता विकसित करने का आधार बनाता है।
इस UPTET Paper 1 Sectional Test 1 – Environmental Studies Quiz में पर्यावरण, संसाधन, पारिस्थितिकी, सामाजिक अध्ययन और शैक्षिक दृष्टिकोण से संबंधित प्रमुख प्रश्न शामिल किए गए हैं। यह क्विज़ न केवल आपकी वैचारिक समझ को मजबूत करेगी, बल्कि परीक्षा के पैटर्न और कठिनाई स्तर को भी स्पष्ट करेगी। इस प्रश्नोत्तरी का नियमित अभ्यास आपकी तैयारी को और सटीक बनाएगा तथा आप EVS सेक्शन में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पाएंगे।

UPTET Paper 1 Sectional Test 1 – Environmental Studies Quiz
व्याख्या:
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र सबसे स्थिर (stable) पारिस्थितिकी तंत्र माना जाता है क्योंकि –
- यह सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र है और पृथ्वी की लगभग 71% सतह को कवर करता है।
- समुद्रों का तापमान बहुत धीरे-धीरे बदलता है, जिससे जैविक समुदायों में अचानक परिवर्तन नहीं होते।
- इसमें जैव विविधता (biodiversity) बहुत अधिक होती है, जिससे यह पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में सक्षम है।
- समुद्री जल का विशाल भंडार और लवणता (salinity) इसे अन्य पारिस्थितिक तंत्रों की तुलना में अधिक स्थिर बनाते हैं।
इसलिए, सबसे स्थिर पारिस्थितिकी तंत्र है — समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र।
अवधारणा:
पारिस्थितिकी तंत्र:
सभी जीव जैसे कि पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव और मनुष्य के साथ-साथ भौतिक परिवेश भी एक-दूसरे के साथ अंत:क्रिया करते हैं और प्रकृति में संतुलन बनाए रखते हैं। पर्यावरण के निर्जीव घटकों के साथ एक क्षेत्र में सभी परस्पर क्रिया करने वाले जीव एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।
- जैविक घटक: इसमें उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटक शामिल हैं। सभी सजीव चीजों का पर्यावरण में अन्य जीवों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव होता है। जैसे - पौधे, पशु, सूक्ष्मजीव आदि।
- अजैविक घटक: पारिस्थितिकी तंत्र के सभी अकार्बनिक घटक, प्रकृति की निर्जीव भौतिक और रासायनिक संरचना अजैविक घटक हैं। जैसे - पत्थर, पानी, ह्यूमस (जैविक अपशिष्ट), वायु आदि
स्पष्टीकरण:
पारिस्थितिक तंत्र के दो प्रकार हैं -
- प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र - ये ऐसे पारिस्थितिक तंत्र हैं जो प्राकृतिक रूप से होते हैं और मनुष्य के किसी भी हस्तक्षेप के बिना जीवित रह सकते हैं। प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के उदाहरण जंगल, पहाड़, नदी, घास के मैदान आदि हैं।
- मानव निर्मित या कृत्रिम पारिस्थितिकी तंत्र - जब मानव अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए पहले से ही विद्यमान पारिस्थितिकी तंत्र को संशोधित करता है या अपने स्वयं के पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है और प्राकृतिक स्थिति की नकल करता है, उन्हें कृत्रिम पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है। इस प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र के उदाहरणों में एक्वैरियम, फसल क्षेत्र, उद्यान, बांध, झील, तालाब पारिस्थितिकी तंत्र आदि शामिल हैं।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि तालाब और झीलें कृत्रिम भी हो सकती हैं। लेकिन वन केवल प्राकृतिक आवास के रूप में ही पनप सकते हैं।
एक तालाब का पारिस्थितिकी तंत्र - कृत्रिम पारिस्थितिकी तंत्र
एक जंगल का पारिस्थितिकी तंत्र - प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र
घास का मैदान - प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र
व्याख्या:
प्रदूषित पानी से फैलने वाली बीमारियाँ आमतौर पर जलजनित (water-borne) होती हैं। इनमें मुख्य रूप से ऐसे रोग शामिल हैं जो जल में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस या परजीवियों के कारण होते हैं।
हैजा (Cholera): हैजा एक जलजनित रोग है जो Vibrio cholerae नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इसका मुख्य कारण प्रदूषित और असुरक्षित पानी का सेवन है। गंदे पानी में स्नान या तैरने से भी संक्रमण हो सकता है। इसके प्रमुख लक्षणों में तीव्र दस्त, उल्टी, पेट दर्द और गंभीर निर्जलीकरण शामिल हैं।
अत्याधिक अतिसार (Severe Diarrhea): दस्त या डायरिया वह स्थिति है जिसमें मल त्याग की आवृत्ति बढ़ जाती है और मल पतला हो जाता है। इसका प्रमुख कारण दूषित पानी और भोजन का सेवन है। प्रदूषित या बिना छाने पानी में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस या रासायनिक तत्व इससे जुड़ी मुख्य वजहें हैं।
टाइफाइड (Typhoid): टाइफाइड Salmonella typhi नामक बैक्टीरिया से होता है, जो संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित पानी या भोजन के माध्यम से फैलता है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, पेट दर्द, भूख न लगना, कमजोरी, वजन कम होना और कभी-कभी आंतरिक रक्तस्राव शामिल हैं।
पोलियो (Polio): पोलियो एक विषाणुजनित (viral) रोग है जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित पानी या भोजन के माध्यम से फैल सकता है। प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, थकान, मतली, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं, जबकि गंभीर मामलों में पक्षाघात (paralysis) हो सकता है।
तपेदिक (TB) और आंत्रशोथ (Enteritis) सामान्यतः वायुजनित या अन्य कारणों से फैलते हैं, न कि सीधे प्रदूषित पानी से।