गणित में औसत (Average) अध्याय के महत्वपूर्ण नोट्स PDF | Average in Hindi

गणित के हर अध्याय की तरह औसत (Average) भी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण टॉपिक है। चाहे आप SSC, बैंकिंग, रेलवे, राज्य स्तरीय परीक्षाओं या अन्य कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हों, औसत पर आधारित प्रश्न लगभग हर परीक्षा में पूछे ही जाते हैं। इस अध्याय की खासियत यह है कि यदि आप इसके मूल सिद्धांतों को समझ लेते हैं तो जटिल से जटिल प्रश्न भी कुछ ही सेकंड में हल किए जा सकते हैं।

गणित में औसत (Average) अध्याय के महत्वपूर्ण नोट्स PDF

औसत की परिभाषा (Definition of Average)

औसत किसी भी संख्या समूह के सभी मानों का संतुलित मान होता है। इसे साधारण शब्दों में "समान वितरण" कहा जा सकता है।
गणितीय रूप से,
औसत = सभी मानों का योग ÷ कुल मानों की संख्या

उदाहरण: यदि तीन संख्याएँ 5, 10 और 15 हैं तो औसत होगा:
(5 + 10 + 15) ÷ 3 = 30 ÷ 3 = 10

औसत का महत्व प्रतियोगी परीक्षाओं में

औसत से जुड़े प्रश्न न केवल गणना की गति को परखते हैं बल्कि आपकी तार्किक सोच (logical reasoning) को भी मजबूत करते हैं। SSC CGL, SSC CHSL, Railway NTPC, Banking Exams (IBPS, SBI PO, Clerk) जैसे एग्जाम्स में हर साल 1 से 2 प्रश्न औसत पर आधारित जरूर आते हैं। इस कारण इस टॉपिक को अनदेखा करना किसी भी विद्यार्थी के लिए सही नहीं होगा।

औसत से जुड़े प्रमुख तथ्य

यदि किसी समूह के सभी मान समान हों तो औसत भी वही संख्या होगी।

औसत हमेशा दिए गए मानों के न्यूनतम और अधिकतम मान के बीच ही होता है।

किसी नए मान को जोड़ने या हटाने पर औसत बढ़ या घट सकता है।

औसत से संबंधित प्रश्न अक्सर समय, गति, दूरी और अंकगणित के अन्य टॉपिक से भी जोड़े जाते हैं।

औसत अध्याय के प्रकार के प्रश्न

औसत पर पूछे जाने वाले प्रश्न कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे:

संख्याओं पर आधारित प्रश्न

उम्र पर आधारित प्रश्न

अंकगणितीय गणना से जुड़े प्रश्न

समय और दूरी से संबंधित प्रश्न

मिश्रण (Mixture) से जुड़े प्रश्न

इन सभी प्रश्नों को हल करने का आधार औसत का सामान्य सूत्र ही होता है।

औसत अध्याय को जल्दी समझने की ट्रिक

औसत को समझने का सबसे सरल तरीका यह है कि इसे समान बाँटने की प्रक्रिया मान लें।
उदाहरण: यदि तीन दोस्तों के पास क्रमशः 100, 200 और 300 रुपये हैं, तो कुल रुपये = 600 और औसत = 600 ÷ 3 = 200 रुपये।
इसका अर्थ यह हुआ कि यदि सभी के पास बराबर पैसे हों तो हर किसी के पास 200 रुपये होंगे।

प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से औसत क्यों जरूरी है

औसत पर आधारित प्रश्न समय की बचत करने वाले होते हैं। एक बार फॉर्मूला और शॉर्टकट्स अच्छे से समझ लेने पर आप सेकंडों में उत्तर निकाल सकते हैं। यही कारण है कि SSC, Railway और Banking परीक्षाओं के क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड सेक्शन में यह अध्याय हमेशा पूछा जाता है।

औसत अध्याय की तैयारी कैसे करें

औसत के प्रश्नों को मजबूत करने के लिए सबसे पहले बेसिक फॉर्मूला पर अच्छी पकड़ बनानी जरूरी है। उसके बाद अभ्यास प्रश्नों पर ध्यान दें। पुराने वर्षों के प्रश्नपत्र (Previous Year Papers) हल करना सबसे बेहतर तरीका है क्योंकि इससे आपको परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के लेवल की समझ मिलती है।

निष्कर्ष

औसत अध्याय गणित का एक बुनियादी और बेहद उपयोगी हिस्सा है। इसे समझने के बाद आप न केवल परीक्षा में अच्छे अंक ला सकते हैं बल्कि गणितीय तर्कशक्ति भी मजबूत कर सकते हैं। SSC, बैंकिंग, रेलवे और अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इसकी उपयोगिता को देखते हुए हर विद्यार्थी को इसे अच्छी तरह तैयार करना चाहिए।

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